मुंबई (एजेंसी)। पूर्व सलामी बल्लेबाज विक्रम राठौड़ भारतीय क्रिकेट टीम के नये बल्लेबाजी कोच होंगे। वह संजय बांगड़ की जगह लेंगे जबकि भरत अरुण और आर श्रीधर क्रमश: गेंदबाजी और फिल्डिंग कोच बने रहेंगे। एमएसके प्रसाद की अगुवाई वाली सीनियर राष्ट्रीय चयनसमिति ने सहयोगी स्टाफ के इन तीनों महत्वपूर्ण पदों के लिये तीन-तीन नामों की सिफारिश की थी।
पचास वर्षीय राठौड़ ने 1996 में भारत की तरफ से छह टेस्ट और सात वनडे मैच खेले लेकिन उन्हें खास सफलता नहीं मिली। घरेलू क्रिकेट में हालांकि पंजाब की तरफ से उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया। वह कुछ साल पहले (2016) तक संदीप पाटिल की अगुवाई वाली सीनियर चयनसमिति के सदस्य थे। राठौड़ ने इससे पहले एनसीए बल्लेबाजी सलाहकार और अंडर-19 बल्लेबाजी कोच पद के लिये आवेदन किया था लेकिन उनका आवेदन रोककर रखा गया था क्योंकि उनके रिश्तेदार आशीष कपूर अंडर-19 चयनसमिति के अध्यक्ष हैं।
कुल मिलाकर विक्रम राठौड़ को 13 इंटरनेशनल मैचों का अनुभव है। राठौड़ ने 7 वनडे मैचों में 193 रन और 6 टेस्ट मैचों में 131 रन बनाए थे। ऐसे में अगर वह टीम इंडिया के बल्लेबाजी कोच बनते हैं तो वह विराट और रोहित जैसे खिलाड़ियों को बैटिंग के गुर सिखाएंगे। विराट कोहली की बात करें तो वह 387 इंटरनेशनल मैच खेल चुके हैं, जबकि रोहित शर्मा 341 इंटरनेशनल मैचों का अनुभव रखते हैं।
वहीं दूसरी तरफ विक्रम राठौड़ ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 146 मैचों में 49.66 की औसत से 11473 रन बनाए हैं। लिस्ट-ए क्रिकेट में उन्होंने 99 मैच खेलते हुए तकरीबन 3000 रन बनाए। साल 2003 में उन्होंने क्रिकेट से संन्यास लिया था।
बीसीसीआई सीईओ राहुल जोहरी ने कहा, “विक्रम राठौड़ को पर्याप्त अनुभव है और हमें कोच के रूप में उनके कौशल पर विश्वास है। हम उन्हें किसी तरह का टकराव घोषित करने के लिये कहेंगे।” चयनसमिति की सिफारिशों के अनुसार वर्तमान बल्लेबाजी कोच संजय बांगड़ दूसरे और इंग्लैंड के पूर्व बल्लेबाज मार्क रामप्रकाश तीसरे नंबर पर हैं।
जोहरी ने कहा, “टीम प्रबंधन की अपनी राय थी लेकिन हमें लगा कि सहयोगी स्टाफ में कुछ नये चेहरों की जरूरत है।” मुंबई इंडियन्स के पूर्व फिजियो नितिन पटेल को फिर से राष्ट्रीय टीम का फिजियो बनाया गया है। वह इससे पहले 2011 में इस पद पर थे। इंग्लैंड के ल्यूक वुडहाउस को अनुकूलन कोच नियुकत किया गया है।
मौजूदा प्रशासनिक मैनेजर सुनील सुब्रहमण्यम को अपना पद गंवाना पड़ेगा। उन्हें वेस्टइंडीज दौरे के दौरान भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों के साथ दुर्व्यवहार करना महंगा पड़ा। सुब्रहमण्यम की जगह गिरीश डोंगरी को यह पद सौंपा गया है।