नई दिल्ली (एजेंसी). बॉम्बे डाइंग (Bombay Dyeing) के चेयनमैन नुसली वाडिया (Nusli Wadia) ने टाटा (Tata) समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा (Ratan Tata) और अन्य के खिलाफ दायर 3000 करोड़ रुपये के हर्जाने सहित मानहानि के सारे मामले सोमवार को वापस ले लिए. बता दें कि वाडिया ने साल 2016 में टाटा ग्रुप (Tata Group) की होल्डिंग कंपनी टाटा सन्स (Tata Sons) और इसके 11 बोर्ड मेंबर्स व एक्सक्यूटिव्स के खिलाफ मानहानि का केस दायर किया था.
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प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने वाडिया को शीर्ष अदालत में अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी. इससे पहले, पीठ ने इस कथन को दर्ज किया कि टाटा और अन्य की मंशा वाडिया को बदनाम करने की नहीं थी.
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एविएशन (Aviation) से एफएमसीजी (FMCG) सेक्टर में बड़ी कंपनियों के मालिक नुस्ली वाडिया ने टाटा मोटर्स, टाटा स्टील और टाटा केमिकल्स के बोर्ड से हटाए जाने के बाद रतन टाटा के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज कराया था. वाडिया टाटा मोटर्स, टाटा स्टील और टाटा केमिकल्स के बोर्ड्स में स्वतंत्र निदेशक थे. 2016 में नुस्ली वाडिया ने रतन टाटा और अन्य के खिलाफ अवमानना का मामला दर्ज कराया था. वाडिया ने इस मामले में 3,000 करोड़ रुपये का हर्जाना मांगा था.
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एक रिपोर्ट के मुताबिक, वाडिया ने कहा था कि टाटा सन्स और रतन टाटा के साथ कुछ लोगों ने उनकी अवमानना की है. उन्होंने झूठे आधार पर हमारे बारे में खबरें छापी हैं. हालांकि रतन टाटा और टाटा संस के निदेशकों ने कहा कि वाडिया को बदनाम करने का कोई इरादा नहीं था. जुलाई 2019 ने बॉम्बे हाईकोर्ट ने आपराधिक अवमानना को रदद् कर दिया था. बॉम्बे हाइकोर्ट के फैसले को नुस्ली वाडिया ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. वाडिया ने साइरस मिस्त्री को ग्रुप चेयरमैन के पद से हटाए जाने का सार्वजनिक तौर पर विरोध भी किया था.
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