खेत-खलिहान और किसान ही नहीं, भूपेश सरकार रियल इस्टेट, इंवेस्टमेंट और इंडस्ट्री के लिए भी संजीदा

रायपुर (अविरल समाचार) : छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार सिर्फ खेत-खलिहान और किसानों की ही चिंता नहीं कर रही बल्कि रियल इस्टेट, इंडस्ट्रीज और इंवेस्टमेंट को लेकर भी संजीदा है। यह इससे पता चलता है कि रियल इस्टेट के लिए सिंगल विंडो सिस्टम प्रारंभ करने के बाद 8 अक्टूबर को भूपेश कैबिनेट ने नई उद्योग नीति पर मुहर लगा दी। नई उद्योग नीति में सरकार ने उद्योगों के लिए रियायतों का ऐसा पिटारा खोला है कि लोकल उद्योगपतियों का खुशी का ठिकाना नहीं। 11 अक्टूबर को रायपुर के उद्योगपति मुख्यमंत्री को आभार व्यक्त करने सीएम हाउस पहुंच गए। खासकर स्टील सेक्टर के लोग इतने उत्साहित थे कि प्रस्ताव दे डाला कि क्यों न 8 अक्टूबर को स्टील डे के रूप में मनाया जाए।

सिंगल विंडो के लिए सीएम को थैंक्स करने क्रेडाई भी सीएम हाउस पहुंचे। क्रेडाई से जुड़े बिल्डरों ने माना कि एक प्रोजेक्ट को एप्रूव्ह कराने में दो से ढाई साल लग जाते थे। सिंगल विंडो से अधिक-से-अधिक छह महीने में सारे क्लियरेंस मिल जाएंगे। अविनाश बिल्डकाॅन के एमडी आनंद सिंघानिया ने  बताया, सिंगल विंडो रियल इस्टेट के लिए वाकई एक क्रांतिकारी कदम है। प्रोजेक्ट की स्वीकृति में लंबा समय लग जाने से नुकसान बिल्डरों के साथ आम आदमी को भी होता था। क्योंकि, क्लियरेंस में टाईम लगने से राॅ मैटेरियल का रेट बढ़ जाता था। सिंघानिया ने बताया कि किसी और राज्य में रियल इस्टेट के लिए सिंगल विंडो की जानकारी उन्हें नहीं है।

प्रमुख सचिव उद्योग मनोज पिंगुआ ने बताया कि नई उद्योग नीति के संबंध में मुख्यमंत्री काफी रुचि ले रहे थे। उनका निर्देश था कि लाॅकडाउन के बाद पहली कैबिनेट में किसी भी सूरत में नई उद्योग नीति पारित करना है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा पूरी संवेदनशीलता के साथ उद्योगों के हित में लगातार निर्णय लिए गए। मुख्यमंत्री ने स्वयं लाॅकडाउन की अवधि में समय-समय पर अलग-अलग सेक्टर के उद्योग के प्रतिनिधियों से रू-ब-रू चर्चा कर उनकी समस्या जानी और समस्याओं के निराकरण के लिए त्वरित निर्णय लिए। हाल ही में आयोजित केबिनेट की बैठक में भी उद्योगों के संबंध में अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। उद्योगों को लीज पर दी गई भूमि में उद्योग लगाने के लिए निर्धारित अवधि में एक वर्ष की वृद्धि की गई। पट्टे पर आबंटित औद्योगिक भूमि उपयोग न हो पाने के प्रकरणों में भूमि के हस्तांतरण को आसान बनाया गया। नये बायो इथेनाॅल प्लांट लगाने के लिए अर्लीबर्ड अनुदान के लिए 18 महीने की समयावधि निर्धारित की गई। पहले एम.ओ.यू. के बाद छह माह के भीतर उत्पादन शुरू करने पर अर्लीबर्ड अनुदान देने का प्रावधान रखा गया था। इस अवधि को बढ़ाकर अब 18 माह कर दिया गया है।

राज्य सरकार द्वारा उद्योगों को बिजली दर में रियायत, अनुदान सहायता, विभिन्न स्वीकृतियां प्रदान करने की सरल और सुविधाजनक व्यवस्था के साथ स्थानीय उद्योगांे के उत्पादों को प्राथमिकता देने जैसे अनेक संवेदनशील फैसलों ने छत्तीसगढ़ के उद्योग जगत के लिए संजीवनी का काम किया है। कोरोना के दौर में जब पूरे देश में औद्योगिक गतिविधियां थमी हुई थी, तब छत्तीसगढ़ के कोर सेक्टर के उद्योगों में उत्पादन जारी रहा। माह अप्रैल के आखरी सप्ताह में कोर सेक्टर के अलावा अन्य उद्योगों में भी उत्पादन की गतिविधियां प्रारंभ हो चुकी थी। राज्य सरकार द्वारा उद्योगों के हित में लगातार फैसले लिए गए। इसका ही यह सुखद परिणाम रहा कि छत्तीसगढ़ में पिछले वर्ष सितम्बर माह की तुलना में वर्ष 2020 के सितम्बर माह में जीएसटी कलेक्शन में 24 प्रतिशत की ग्रोथ दर्ज की गई। वर्ष 2019 सितंबर माह में छत्तीसगढ़ में जीएसटी कलेक्शन 1490 करोड़ रुपए था, जो वर्ष 2020 सितंबर माह में कोरोना संकट के बावजूद बढ़कर 1841 करोड़ रुपए हो गया। इस वर्ष जनवरी 2020 से जून 2020 तक 848 औद्योगिक इकाईयों द्वारा 14 हजार 983 करोड़ का पूंजी निवेश कर उद्योगों में 15 हजार 424 व्यक्तियों को रोजगार प्रदान किया गया।

नई औद्योगिक नीति के तहत इस्पात (स्पांज आयरन एण्ड स्टील) क्षेत्र के मेगा अल्ट्रा मेगा प्रोजेक्ट में निवेश हेतु विशेष निवेश प्रोत्साहन पैकेज देने का निर्णय लिया गया। मेगा निवेशकों के लिए घोषित किए गए पैकेज में अधितम 500 करोड़ रूपए तक का निवेश प्रोत्साहन (बस्तर संभाग हेतु 1000 करोड़ तक) मान्य होगा। प्रस्तावित इकाईयों के लिए 31 अक्टूबर 2024 को अथवा उसके पूर्व व्यावसायिक उत्पादन प्रारंभ करना जरूरी होगा। 100 करोड़ रूपए का स्थाई पूंजी निवेश मद में निवेश कर व्यावसायिक उत्पादन आरंभ करने वाली नवीन इकाईयों को आर्थिक निवेश प्रोत्साहन प्राप्त होगा। राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में कृषि और उद्यानिकी फसलों के प्रसंस्करण के लिए प्रदेश के सभी 146 विकासखण्डों में फूड पार्क की स्थापना का निर्णय लिया गया है। इसके तहत फूड पार्क की स्थापना हेतु 146 विकासखण्डों में से 101 विकासखंडों में कुल 1346.656 हेक्टेयर शासकीय भूमि का चिन्हांकन किया गया है। प्रदेश के 15 विकासखण्डों में कुल 204.517 हेक्टेयर शासकीय भूमि का आधिपत्य राजस्व विभाग द्वारा उद्योग विभाग को प्राप्त हुआ, जिसमें अधोसंरचना विकास कार्य हेतु कार्यवाही प्रगति पर है।
औद्योगिक इकाईयों को ब्याज अनुदान योजना के तहत जनवरी 2020 से जून 2020 तक 848 औद्योगिक इकाईयों को 22.83 करोड़ रूपए की राशि वितरित की गई, साथ ही स्थायी पूंजी निवेश अनुदान के रूप में इन इकाईयों को 80.13 करोड़ रूपए की राशि वितरित की गई।

राज्य सरकार द्वारा औद्योगिक नीति 2019-24 में अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति वर्ग के उद्यमियों तथा स्टार्टअप के लिए स्पेशल पैकेज घोषित किया गया है। औद्योगिक नीति 2019-24 में स्थापित होने वाले उद्योगों को विस्तार और शवलीकरण के लिए अनुदान छूट एवं रियायतों की पात्रता का अनुमोदन भी मंत्रिपरिषद की बैठक में किया गया। सूक्ष्म उद्योगों के साथ-साथ लघु एवं मध्यम उद्योगों को भी स्थाई पूंजी निवेश अनुदान की सुविधा देने का निर्णय लिया गया है। कोर सेक्टर के उद्योगों को पूरे राज्य में विद्युत शुल्क छूट की पात्रता दी गई। बिजली में सब्सिडी मिलने से इस्पात सहित कोर सेक्टर के उद्योगों को नई संजीवनी मिली है। इससे इन कोर सेक्टर के उद्योगों को देश भर के मार्केट का लाभ मिलेगा। राज्य सरकार द्वारा कृषि आधारित ग्रामीण उद्योगांें को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ राज्य प्रसंस्करण मिशन की अवधि 31 अक्टूबर 2024 तक बढ़ाई गई। इस मिशन में वन अधिकार अधिनियम पट्टाधारी एवं सामुदायिक तथा वन संसाधन अधिकार प्राप्त ग्रामों को विशेष प्राथमिकता देने का अनुमोदन किया गया है। स्पंज आयरन एवं स्टील सेक्टर के उद्योगों के लिए बी-स्पोक पालिसी के तहत विशेष पैकेज घोषित करते हुए, क्षेत्रवार छूट की सीमा 60 प्रतिशत से 150 प्रतिशत तक कर दी गई है। इसी तरह भू जल के औद्योगिक उपयोग के लिए निर्धारित जल दरों में 20 से 33 प्रतिशत तक की कमी की गई है। इसी तरह निरस्त भू-खण्डों तथा बंद पड़ी इकाईयों से भूखंड का आधिपत्य वापस कर नए आवेदकों को आबंटन करने का निर्णय किया गया।

राज्य के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों को शासकीय खरीदी में प्राथमिकता दी जा रही है। इसके लिए विपणन पोर्टल ई-मानक राज्य शासन द्वारा लागू किया गया है। राज्य के बाहर के निविदाकर्ता इकाईयों को दर निर्धारण हेतु राज्य में जी.एस.टी. पंजीयन कराना अनिवार्य किया गया है। ई-मानक पोर्टल के माध्यम से अब तक 412 करोड़ रूपए की सामग्री का क्रय किया गया है। लाॅकडाउन की अवधि में राज्य के द्वारा 27 लाख टन का स्टील उत्पादन किया गया, जो भारत के अन्य राज्यों की तुलना में सर्वाधिक उत्पादन है। प्रदेश की राजधानी रायपुर में 10 एकड़ भूमि पर जेम्स एण्ड ज्वेलरी पार्क की स्थापना की जा रही है। जिससे राज्य में जेम्स एण्ड ज्वेलरी व्यवसाय को बढ़ावा मिलेगा तथा स्थानीय स्तर पर व्यवसाय से जुड़े कारीगरों को रोजगार प्राप्त होगा। राज्य सरकार द्वारा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को दिए जा रहे प्रोत्साहन के कारण भारत सरकार सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय, नई दिल्ली द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य को राष्ट्रीय स्तर पर एमएसएमई प्रमोशन एवं डेव्हलपमेंट के क्षेत्र में द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ है। इसी तरह राज्य में अब तक 415 से अधिक स्टार्टअप को केन्द्र शासन से मान्यता प्राप्त हो चुकी है।

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