नई दिल्ली(एजेंसी): राज्यों के मुख्य सचिवों के साथ कैबिनेट सचिव की बैठक के बाद केंद्रीय गृह सचिव ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को दो अलग-अलग पत्र लिखे हैं. इन पत्रों में कहा गया है कि प्रवासी मजदूरों को रेलवे ट्रैक और सड़क पर पैदल ना चलने दिया जाए और स्थानीय लेवल पर जो डॉक्टरों के क्लीनिक या नर्सिंग होम हैं उनके खोलने में कोई बाधा उत्पन्न ना की जाए. जिससे सरकारी अस्पतालों का बोझ कम किया जा सके.
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केंद्रीय कैबिनेट सचिव ने रविवार को सभी राज्यों के मुख्य सचिवों के साथ बैठक की थी. इस बैठक के दौरान राज्यों की तरफ से भी इस बात को बताया गया था कि प्रवासी मजदूर लगातार रेलवे ट्रैक पर चल रहे हैं या सड़कों पर भी चल रहे हैं. ऐसे में कई बार दुर्घटनाएं हो चुकी हैं. केंद्रीय कैबिनेट सचिव ने राज्यों को इस बारे में बताया कि श्रमिक स्पेशल ट्रेन लगातार चलाई जा रही है और राज्यों को चाहिए कि वह ऐसी और ज्यादा ट्रेन चलाने में रेलवे के साथ सहयोग करें. जिससे जो भी प्रवासी मजदूर अपने घर जाना चाहता है उसे उसके घर तक पहुंचाया जा सके.
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इस आशय को लेकर केंद्रीय गृह सचिव ने आज सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखा है. जिसमें स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि प्रवासी मजदूर अगर रेलवे ट्रैक पर या सड़कों पर पैदल चलते पाए जाएं तो उन्हें तत्काल नजदीक के शेल्टर होम ले जाया जाए. जहां उनके रहने खाने का प्रबंध किया जाए. साथ ही चिकित्सा जांच भी की जाए और इसके बाद उन्हें तब तक शेल्टर होम में रखा जाए जब तक बस या रेल के जरिए उनके राज्य तक पहुंचाने की सुविधा ना हो जाए. इसके लिए राज्यों के मुख्य सचिवों को कहा गया है कि वह अपने अपने राज्यों से और भी ज्यादा श्रमिक ट्रेनों को चलाने में रेलवे का सहयोग करें.
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इसके अलावा केंद्रीय गृह सचिव ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव को लिखे दूसरे पत्र में कहा है कि मेडिकल सेवा से जुड़े जो भी लोग हैं उनके आने जाने में कहीं भी किसी भी तरह की कोई बाधा उत्पन्न ना की जाए क्योंकि यह लोग कोरोना संक्रमण से लोगों को बचा रहे हैं. ऐसे में उनका आना-जाना कहीं भी बाधित ना हो जाए.
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साथ ही इस पत्र में यह भी कहा गया है की स्थानीय लेवल पर डॉक्टरों के जो भी नर्सिंग होम हैं या क्लीनिक है जहां लोग अपने रोजमर्रा की बीमारी के बारे में दवा आदि लेते हैं ऐसे नर्सिंग होमों को खोलने में किसी भी तरह की कोई बाधा उत्पन्न ना की जाए क्योंकि जब स्थानीय लोगों को स्थानीय लेवल पर रूटीन बीमारी या रूटीन चेकअप होने की सुविधा मिलेगी तो वह सरकारी अस्पताल नहीं जाएंगे और सरकारी अस्पतालों से रूटीन बीमारी के मामलों का बोझ कम किया जा सकेगा.
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