नई दिल्ली (एजेंसी)। सुप्रीम कोर्ट 42000 से ज्यादा घर खरीदारों के मामले मंगलवार को फैसला सुनाते हुए आम्रपाली का रेरा रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया है। कोर्ट ने एनबीसीसी को यह निर्देश दिया है कि वह आम्रपाली ग्रुप के अटके प्रोजेक्ट पूरे करे। इस मसले पर जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई की। नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों के अधूरे प्रोजेक्ट पूरा करने में संसाधनों की कमी की बात कह कर हाथ खड़े करने के बाद शीर्ष अदालत ने इस मामले में 10 मई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। दोनों प्राधिकरणों ने घर खरीदारों के हितों को देखते हुए और सियासी दबाव के चलते आम्रपाली पर लीज एग्रीमेंट रद्द करने जैसी कोई कार्रवाई करने में खुद को लाचार बताया था।
दरअसल, 23 जुलाई यानि आज सुप्रीम कोर्ट में खरीदारों का भविष्य तय हो सकता है। इसमें सरकार की योजना के साथ कोर्ट का अहम निर्देश खरीदारों को उबारने का काम कर सकता है। इससे आम्रपाली और जेपी समेत सभी प्रोजेक्टों का भविष्य तय होगा। सुप्रीम कोर्ट के सख्त रवैये से खरीदारों में आस जगी है कि इस दिन सुप्रीम कोर्ट कोई अहम निर्देश दे सकता है। यही नहीं आम्रपाली के मामले में कोर्ट को अलग से अहम फैसला भी देना है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को खरीदारों के हित में एक प्रस्ताव बनाने का निर्देश दिया है। इससे खरीदारों की समस्या का समाधान करने के बाबत कहा गया है। अब केंद्र सरकार का संबंधित मंत्रालय प्रस्ताव का मसौदा तैयार कर रहा है। इससे खरीदारों को पता चलेगा कि केंद्र ने उनके लिए क्या समाधान योजना निकाली है।
बिल्डरों का कहना है कि प्राधिकरणों से उन्हें जीरो पीरियड दिलाया जाए। इससे कई बिल्डरों को तुरंत फायदा होगा। कई बिल्डरों ने प्राधिकरणों में एक तय समयावधि के लिए जीरो पीरियड की मांग की है, लेकिन प्राधिकरणों ने उनकी मांगों को मानने से मना कर दिया है। अगर केंद्र सरकार की ओर से इस बाबत कोई अहम निर्देश आता है और सरकार का दबाव पड़ता है तो प्राधिकरणों को इस मामले में जीरो पीरियड देने का फैसला करना पड़ सकता है, जो कहीं न कहीं प्रोजेक्ट को पूरा होने और खरीदारों का भविष्य तय करने में मदद कर सकता है।